Dev Dipawali : 2024 कब है क्यों मनाई जाती है

By Sushil

Dev Dipawali भारत एक पर्व का देश है हर पर्व का अपना एक विशेष महत्त्व है ऐसे देव दीपावली का भी अपना एक महत्त्व है यह पर्व खासकर वारणशी के गंगा घाटों पर मनाया जाता है और इस हम सब देवताओ की दिवाली भी कहते है देव दिवाली का अपना एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व है
इस पोस्ट में हम देवदीपावली के महत्त्व को समझेंगे

Dev Dipawali कब है

साल 2024 में देव दीपावली 15 नवंबर को है. यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस दिन कार्तिक पूर्णिमा दोपहर 12 बजे से शुरू होकर 16 नवंबर को शाम 5 बजकर 10 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि के मुताबिक, देव दीपावली 15 नवंबर को मनाई जाएगी

यह दीपावली से ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है इस त्यौहार को उत्तर प्रदेश के बनारस में मनाया जाता है

Dev Dipawali क्यों मनाई जाती है

देव दीपावली को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. इस उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाकर दिवाली मनाई थी. तब से हर साल कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है. देव दीपावली से जुड़ी कुछ और खास बातेंः 

  • देव दीपावली, दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है. 
  • देव दीपावली को त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. 
  • देव दीपावली के दिन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. 
  • इस दिन पवित्र नदियों और मंदिरों में दीपदान किया जाता है. 
  • देव दीपावली पर चंद्रमा के पूर्ण दर्शन होते हैं. 
  • इस दिन तुलसी विवाह की रस्म भी पूरी होती है. 
  • देव दीपावली काशी यानी वाराणसी से जुड़ी हुई है. 
  • वाराणसी को भगवान शिव की नगरी और घाटों की नगरी कहा जाता है. 
  • इस दिन काशी के घाटों पर लाखों दीए जलाए जाते हैं

Dev Dipawali कैसे मनाई जाती है

देव दीपावली यानि की देवो की दिवाली यह त्यौहार खास वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, में देव दीपावली का आयोजन अत्यंत भव्य रूप से किया जाता है। काशी में अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, और अन्य घाटों पर हजारों दीये जलाए जाते हैं। शाम के समय इन घाटों पर एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न होता है, जब चारों ओर दीपों की ज्योति से सारा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

इस दिन काशी के घाटों पर भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु इस महोत्सव का आनंद लेते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। पूरे घाट को दीयों की कतार से सजाया जाता है और लोग दीप जलाकर गंगा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।र बनारस में मनाया जाता है
और इसके मानाने की विधि की अगर हम बात करे तो

Dev Dipawali और गंगा आरती का महत्त्व

वैसे तो गंगा आरती हमेशा से बनारस में होता आया है लेकिन देवदीपावली की गंगा आरती बेहद खास होती है जैसे ही सूर्यास्त होता है गंगा आरती की प्रक्रिया सुरु कर दी जाती है गंगा आरती में बहुत से लोग गंगा नदी की आरती करते है और मंत्रो का जप होता है और यह की गंगा आरती देखने के लिए लोग लोग यह तक की विदेशो से भी आते है और जैसे ही गंगा आरती समाप्त हो जाती है तब श्रद्धालु गंगा नदी में छोटे छोटे दीपक जलाते है और इसका दृश्य अदुतीय होता है क्युकी हजारो संख्या में लोग एक बार में दिए जलाते है जिससे वातावरण पूरा मंत्रमुग्ध हो जाता है

Dev Dipawali कहा कहा मनाई जाती है

देव दीपावली वैसे तो कई जगह पर मनाई जाती है पर बनारस की देव दीपावली सबसे अलग होती है वाराणशी के आलावा देव दीपावली प्रयागराज में भी मनाया जाता है और झारखण्ड में मनाई जाती है पर विशेष मान्यता देव दीपावली की वाराणशी की ही है

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