Chhat Puja : 2024 छत्त पूजा कब है और क्यों मनाया जाता है छत पूजा कैसे मनाया जाता है जाने छत पूजा के महत्व

By Sushil

छठ पूजा, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता को समर्पित है, जो स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना के लिए किया जाता है। इस पूजा का महत्त्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें सूर्य देवता की पूजा के साथ-साथ जल, प्रकृति और परिवार का विशेष महत्त्व होता है।

Chhat Puja कब है

द्रिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2024 में षष्ठी तिथि 7 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी

Chhat puja का महत्त्व

छठ पूजा का इतिहास वेदों के समय से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल में कर्ण से हुयी थी कर्ण के पिता है सूर्यदेव और नितप्रतीदीन कर्ण सूर्यदेव को जल दिया करते थे इस व्रत की शुरुआत वही से हुई थी। इस पर्व का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है, जिसमें यह कहा गया है कि सूर्य देवता की पूजा से भक्तों को धन, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। छठी मइया को संतान की रक्षक देवी माना जाता है, और इसलिए विशेष रूप से महिलाएँ संतान प्राप्ति और उनके कल्याण के लिए व्रत रखती हैं।

इस छत पूजा का उद्देश्य प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना और सूर्य देवता से ऊर्जा और शक्ति की प्राप्ति करना है। इस पूजा के दौरान भक्तगण उगते और डूबते सूर्य की आराधना करते हैं, क्योंकि सूर्यदेव ही जीवन का प्रमुख स्रोत है। इस पर्व में न केवल सूर्य की पूजा होती है बल्कि जल, पृथ्वी और वायु का भी सम्मान किया जाता है। क्युकी हम सब प्राकृतिक चीज़ो पर आज भी निर्भर करते है

Chhat puja की विधि

छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है और इसे बहुत ही विशेष विधियों और नियमों के साथ किया जाता है। इसमें हर एक दिन का अपना अलग महत्त्व है, और भक्त बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ इन सभी विधियों को निभाते हैं।

Chhat Puja का पहला दिन ( नहाय – खाय )

छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ कहलाता है। इस दिन व्रती यानी पूजा करने वाले लोग पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्धता का पालन करते हुए घर में भोजन तैयार करते हैं। इस दिन की भोजन में खास तौर पर कद्दू-भात (चावल) का सेवन किया जाता है। ‘नहाय-खाय’ के दिन पवित्रता और संयम का पालन करना आवश्यक माना जाता है।

Chhat Puja का दूसरा दिन ( खरना )

दूसरे दिन को ‘खरना’ कहा जाता है। इस दिन व्रती दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को विशेष पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल ग्रहण करते हैं। इस भोजन को व्रती प्रसाद के रूप में दूसरों में भी बांटते हैं। इस दिन से व्रती बिना जल के 36 घंटे के कठिन उपवास का संकल्प लेते हैं, जिसे ‘निर्जला व्रत’ कहा जाता है।

Chhat Puja का तीसरा दिन ( संध्या अर्घ्य )

तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य का दिन कहा जाता है। इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। शाम के समय गंगा नदी, तालाब या किसी अन्य जलाशय के किनारे दीप जलाए जाते हैं और सूर्य को जल का अर्घ्य दिया जाता है। इस अवसर पर विशेष रूप से ठेकुआ, फल, और गन्ने का प्रसाद तैयार किया जाता है। महिलाएँ पारंपरिक परिधानों में सजकर सूर्य देवता की पूजा करती हैं और व्रत की कठिन साधना करती हैं।

Chhat Puja का चौथा दिन ( उषा अर्घ्य )

छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का होता है, जिसे उषा अर्घ्य कहा जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर व्रती फिर से नदी या तालाब के किनारे जाते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस अंतिम पूजा के बाद व्रती अपना व्रत समाप्त करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन का अर्घ्य बहुत ही शुभ माना जाता है और इसे विशेष रूप से परिवार की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।

Chhat Puja के प्रसाद

छठ पूजा में विशेष प्रकार के प्रसाद का महत्त्व है। ये प्रसाद पूरी तरह से शाकाहारी और सात्विक होते हैं और इन्हें विशेष विधि से तैयार किया जाता है। छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते समय पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

  • ठेकुआ: यह गेहूँ के आटे, गुड़ और घी से तैयार किया जाने वाला विशेष पकवान है।
  • कद्दू-भात: यह चावल और कद्दू से बना भोजन होता है, जिसे नहाय-खाय के दिन खाया जाता है।
  • गन्ना और नारियल: ये छठ पूजा के मुख्य प्रसादों में से हैं, और इनका विशेष महत्त्व होता है।
  • फल: नारंगी, केला, सेब, और अन्य फल भी प्रसाद के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

Chhat Puja के महत्व

छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्त्व है। इस पर्व में भक्त सूर्य देवता की पूजा करते हैं और जल में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं। यह प्रक्रिया सूर्य से प्राप्त होने वाले विटामिन-डी का उचित अवशोषण करती है, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जल के भीतर खड़े होकर सूर्य की ओर देखना आँखों और शरीर के अन्य अंगों के लिए लाभकारी होता है।

छठ पूजा का एक और महत्त्व इसका सामाजिक दृष्टिकोण है। यह पर्व जाति, धर्म और समाज के बंधनों से परे है और हर व्यक्ति इसमें भाग ले सकता है। छठ पूजा एक सामूहिक पर्व है जिसमें सभी लोग एक साथ मिलकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं। इस दौरान समाज के सभी वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के साथ मिलकर इसे मनाते हैं।

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