गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है और विशेष रूप से भारत के उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का महत्त्व और इतिहास अत्यधिक गहरा है, और इस पर्व के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला का स्मरण किया जाता है और इस बार गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवम्बर को मनाया जायेगा
क्या है गोवर्धन पूजा का इतिहास और पौराणिक कथाये
गोवर्धन पूजा का आरंभ भगवान श्रीकृष्ण की उस प्रसिद्ध कथा से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। माना जाता है कि द्वापर युग में ब्रजवासियों द्वारा इंद्र देवता की पूजा की जाती थी। वे वर्षा के देवता हैं, जो अच्छी फसल और जल संसाधन उपलब्ध कराते हैं। एक बार श्रीकृष्ण ने देखा कि ब्रजवासी इंद्र की पूजा करने में लगे हुए हैं और उन्होंने सोचा कि ये लोग इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करें, जो कि उनके दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि गोवर्धन पर्वत उनके गायों के लिए चारा, पेड़-पौधे, और जल उपलब्ध कराता है।
तब सभी ब्रजवासियो ने श्री कृष्ण की बात मान कर देवराज इंद्र की पूजा छोड़ कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना सुरु कर दिया इस बात पर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और बहुत ही तेज़ी के साथ मूसलाधार बारिश करना सुरु कर दिया जिससे सभी ब्रवाशियो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था तब जा के श्री कृष्ण ने गोवरधन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया जिसके निचे सभी ब्रजवासी सरण ले लिए और ऐसे श्री कृष्ण के देवराज इंद्र का घमंड थोड़ा
तो ऐसे और ये परम्परा है गोवर्धन पूजा की
गोवर्धन पूजा का महत्त्व
गोवर्धन पूजा का महत्त्व धार्मिक के साथ साथ प्रकृति की पूजा और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी मनाया जाता है भगवान श्री कृष्ण का सन्देश हम सब को मानना चाहिए और निश्चित ही हम लोग जितना आधुनिक चीज़ो पर निर्भर करते है उतना ही प्राकृतिक चीज़ो पर भी निर्भर करते है इस लिए हम अपने आश पास की प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए
गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का यही सिद्धांत है
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा के दिन हम सब लोग प्रातः काल उठ कर स्नान कर के अपने घर के अगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनायीं जाती है जिसे हम सभी लोग गोवर्धन महाराज कहते है
गोवर्धन महाराज के साथ साथ इस दिन हम अपने घर के जानवरो की भी पूजा करते है क्युकी हमारा जीवन उनपर भी निर्भर करता है वो बहोत कुछ देते है
इस दिन सब लोग पकवान बना कर अन्नकूट भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करते है उसके बाद सभी को प्रशाद के रूप में दिया जाता है
गोवर्धन पूजा में जानवरो की पूजा करने का महत्त्व ये है की हमे ये शिक्षा मिलती है की हमे प्रकृति के साथ साथ अपने जानवरो के प्रति भी दयालु रहना है
गोवर्धन पूजा से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से मनुष्य के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस पूजा के माध्यम से हमें अहंकार को त्यागने, समर्पण की भावना को अपनाने और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर मिलता है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर कर सकता है और ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को मजबूत बना सकता है।
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