Digital Arrest आज की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है डिजिटल अरेस्ट यह हमें हमारी स्वतंत्रता आजादी और खुशियों से दूर कर रहा है Digital Arrest की वजह से लोग डिप्रेशन में चले जा रहे हैं वहीं इसकी वजह से लोगों को आर्थिक और मानसिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है हालांकि सही आदतों सतर्कता और जागरूकता के साथ हम इस Digital Arrest की प्रक्रिया को रोक सकते हैं हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए की डिजिटल उपकरण हमारे जीवन को आसान बनाने के लिए हैं जिससे हम अपने जीवन के और जीवन में उपयोग आने वाले कुछ कार्यों को बड़ी ही आसानी और सुगमता से कर सकें डिजिटल उपकरण हमें गुलाम बनाने के लिए नहीं है इस बात का हमें ध्यान रखना चाहिए डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए हमें जागरूक रहना होगा और नए जमाने की तकनीकी कल जिम्मेदारी से उपयोग करना होगा एक बार फिर हम आपको याद दिला दें तकनीकी हमारे जीवन का हिस्सा है यह हमारा जीवन नहीं है इस बात का हमें ध्यान रखना है
दरअसल, डिजिटल अरेस्ट एक नया धोखाधड़ी करने का तरीका है जिसमें ठग अपने आप को सरकारी अफसर बताकर लोगों के साथ ठगी करते हैं. इसके साथ ही सरकारी अफसर बनकर वह लोगों से वीडियो कॉल करते हैं और उन्हें विश्वास में लेकर उनसे पैसों की डिमांड की पूरा करवाते हैं
Digital Arrest || क्या होता है ?
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर क्राइम है, जिसमें अपराधी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों का रूप धारण करके अपने शिकारों से पैसे ऐंठते हैं. डिजिटल अरेस्ट के कुछ तरीके ये रहे:
- डिजिटल हाउस अरेस्ट: इसमें स्कैमर्स वीडियो कॉल पर पीड़ित को डरा-धमकाकर घर पर ही कैद कर लेते हैं और उसे इतना परेशान करते हैं कि वह पैसे देने पर मजबूर हो जाता है.
- फ़र्ज़ी लोन: डिजिटल अरेस्ट के ज़रिए फ़र्ज़ी लोन देकर भी लोगों को ठगा जाता है.
- अवैध गतिविधियों का झूठा आरोप: घोटालेबाज़ पीड़ितों को डराते हैं और उन पर अवैध गतिविधियों का झूठा आरोप लगाते हैं.
डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति को उसकी आजादी और उत्पादकता से दूर कर देता है, और यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।
डिजिटल अरेस्ट के मुख्य कारण
डिजिटल अरेस्ट के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- सतर्क रहे, सुरक्षित रहें कोई भी सरकारी जांच एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए वॉट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नहीं करतीं। …
- इग्नोर करें …
- घबराएं नहीं …
- जल्दबाजी करने से बचें …
- साक्ष्य जुटाएं …
- फिशिंग से बचें …
- धोखाधड़ी को रिपोर्ट करें
- सोशल मीडिया की लत:
फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसे प्लेटफार्मों पर बार-बार स्क्रॉल करना और लाइक्स और कमेंट्स पर निर्भर होना। - नोटिफिकेशन और अलर्ट:
हर नोटिफिकेशन पर प्रतिक्रिया देना हमारी मानसिक स्थिति को बाधित करता है और हमें बार-बार फोन चेक करने की आदत डालता है। - ऑनलाइन गेम्स:
पबजी, फ्री फायर जैसे ऑनलाइन गेम्स के कारण युवा वर्ग में डिजिटल अरेस्ट की समस्या बढ़ रही है। - वर्क फ्रॉम होम का प्रभाव:
काम और निजी जीवन के बीच संतुलन न बना पाने के कारण लोग लगातार डिजिटल उपकरणों से जुड़े रहते हैं। - FOMO (Fear of Missing Out):
सोशल मीडिया पर कुछ न छूट जाए, इस डर से लोग लगातार अपडेटेड रहने की कोशिश करते हैं।
Digital Arrest : से बचने के लिए, इन बातों का ध्यान रखें:
- सरकारी एजेंसियां आधिकारिक संवाद के लिए वाट्सएप या स्काइप जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल नहीं करतीं.
- अगर कोई इस तरीके से आपसे संपर्क करता है, तो उसकी हकीकत जानने के लिए संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क करें.
पीएम ने ‘रुको-सोचो-एक्शन लो’ का मंत्र समझाया.
- पहले स्टेप में रुकना चाहिए और व्यक्तिगत जानकारी नहीं साझा करनी चाहिए. …
- दूसरे स्टेप में सोचना और समझना चाहिए कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसे धमकी कभी भी नहीं देती और वीडियो कॉल से पूछताछ करके पैसे की मांग नहीं करती. …
- वहीं, तीसरे स्टेप में ऐसे फ्रॉड पर एक्शन लेना चाहिए.